Saturday, October 10, 2020

Story-Time (धोखेबाज का अंत)

  किसी स्थान  पर एक बहत बड़ा तालाब था। वही एक बूढ़ा बगुला भी रहता था। बुढ़ापे के कारण वह कमजोर हो गया था। इस कारण मछ लि  पकड़ने मेअसम रथ था। वह तालाब के किनारे बैठकर, भूख से वाकु ल होकर आँसू बहाता रहता था। एक बार एक के कड़ा उसके पास आया। बगुलेको उदास देखकर उसने पूछा, ‘मामा, तुम रो को रहे हो? का तुमनेआजकल खाना-पीना छोड़ दि या है?॥अचानक यह का हो गया?ʼ बगुलेनेबताया- ‘पुत, मेरा जन इसी तालाब के पास हआ था। यही मैने इतनी उम बितायी। अब मैने सुना है कि यहाँ बारह वषो तक पानी नही बरसेगा।ʼ बरसेगा।ʼ के कड़ेनेपूछा, ‘तुमसेऐसा कि सने कहा है?ʼ बगुलेनेकहा- ‘मुझेएक जो ति षी ने यह बात बताई है। इस तालाब मे पानी पहलेही कम है। शेष पानी भी जली जल्दी ही सूख जाएगा। तालाब के सूख जानेपर इसमे रहने वाले पाणी भी मर जाएँ गे। इसी कारण मै परेशान हँ।ʼ बगुलेकी यह बात के कड़ेनेअपने सा थि यो को बताई। वेसब बगुलेके पास पहँचे। उनोनेबगुलेसे पूछा-‘मामा, ऐसा कोई उपाय बताओ, जि ससेहम सब बच सके ।ʼ बगुलेनेबताया-‘यहांसेकु छ दूर एक बड़ा सरोवर है। य दि तुम लोग वहाँ जाओ तो तुमारेपाणो की रका हो जाओ तो तुमारेपाणो की रका हो सकती है।ʼ सभी नेएक साथ पूछा-‘हम उस सरोवर तक पहँचेगेकै से?ʼ


 चालाक बगुलेनेकहा-‘मैतो अब बूढ़ा हो गया हँ। तुम लोग चाहो तो मैतुमे पीठ पर बैठाकर उस तालाब तक ले जा सकता हँ।ʼसभी बगुलेकी पीठ पर चढ़कर दूसरेतालाब मेजानेके लि ए तैयार हो गए। दु ष बगुला प ति दि न एक मछली को अपनी पीठ पर चढ़ाकर लेजाता और शाम को तालाब पर लौट आता। इस पकार उसकी भोजन की समसा हल हो गई। एक दि न के कड़ेनेकहा-‘मामा, अब मेरी भी तो जान बचाइए।ʼ बगुलेनेसोचा कि मछलियाँ तो वह बगुले ने सोचा कि मछलियाँ तो वह रोज खाता है। आज केकड़े का मांस खाएगा। ऐसा सोचकर उसने केकड़े को अपनी पीठ पर बैठा लि या। उड़ते हए वह उस बड़ेपतर पर उतरा, जहाँ वह हर दि न मछलियो को खाया करता था।के कड़ेनेवहाँपर पड़ी हई ह डि यो को देखा। उसनेबगुलेसेपूछा-‘मामा, सरोवर कितनी दूर है? आप तो थक गए होगे।ʼ बगुले ने केकड़े को मूरख समझकर उतर दि या-‘अरे, कैसा सरोवर! यह तो मैने अपने भोजन का उपाय सोचा था। अब तूभी मरनेके लिए तैयार हो जा। मै इस पतर पर बैठकर तुझे खा जाऊँ गा।ʼ इतना सुनते ही केकड़े ने बगुले की ग रदन जकड़ ली और अपने तेज दाँतो से उसे काट डाला। बगुला वही मर गया। गया। केकड़ा किसी तरह धीरे-धीरेअपने तालाब तक पहँचा। मछ लियो नेजब उसे देखा तो पूछा-‘अरे, केकड़े भाई, तुम वापस कैसे आ गए। मामा को कहाँ छोड़ आए? हम तो उनके इं तजार मे बैठेहै।ʼ यह सुनकर केकड़ा हँसने लगा। उसने बताया-‘वह बगुला महाठग था। उसने हम सभी को धोखा दि या। वह हमारे साथियो को पास की एक चटान पर ले जाकर खा जाता था। मैनउस धू रत बगुलेको मार दिया है। अब डरनेकी कोई बात नही है। इसीलिए कहा गया है कि जिसके पास बुदि है, उसी के पास बल भी होता है।

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